सोलर पैनल लगाने का प्लान? जानिए 100–120 गज की छत पर कौन-सा सिस्टम होगा बेहतर, कितनी यूनिट बिजली बनेगी और कितना आएगा खर्च
अगर आपके पास 100 से 120 गज की छत है (लगभग 700–1100 स्क्वायर फीट), तो सोलर पैनल लगवाकर आप महीने के बिजली बिल से काफी हद तक राहत पा सकते हैं। लेकिन Grid-Tied और Off-Grid सिस्टम में से सही ऑप्शन चुनना जरूरी है। ये आर्टिकल इसी दुविधा को दूर करने के लिए है — जानिए कौन-सा सिस्टम आपके लिए सही रहेगा, कितनी यूनिट बिजली बनेगी और लागत कितनी आएगी।

Grid-Tied System: इस सिस्टम में सोलर पैनल से जो बिजली बनती है, वह सीधे बिजली विभाग के ग्रिड में जाती है। महीने के अंत में जितनी यूनिट आपने (generate) की, उतनी यूनिट आपके बिजली बिल से माइनस हो जाती है। सर्दियों जैसे मौसम में, जब बिजली की खपत कम होती है, तो कई बार बिल ज़ीरो या नेगेटिव भी हो सकता है।
Off-Grid System: यह सिस्टम बैटरी-बेस्ड होता है। पैनल से बनने वाली बिजली पहले बैटरी में सेव होती है और लाइट कट होने की स्थिति में इस्तेमाल की जाती है। हालांकि, इस सिस्टम से आपके बिजली बिल में सीधे कोई कटौती नहीं होती क्योंकि यह ग्रिड से कनेक्ट नहीं होता।
100–120 गज की छत पर कौन‑सा सिस्टम सही रहेगा? (Best Solar System for 100–120 Gaj Roof)
अगर आपके घर की छत करीब 100–120 गज की है, तो नीचे दिए गए आंकड़े आपके फैसले को आसान बना सकते हैं:
- 100 गज (लगभग 900 स्क्वायर फीट):
इस साइज की छत पर 8 kVA का सोलर सिस्टम फिट बैठता है। इससे आप रोजाना लगभग 32–40 यूनिट (units of electricity) तक जनरेट कर सकते हैं। - 120 गज (लगभग 1,069 स्क्वायर फीट):
यहां आप 10 kVA का सिस्टम इंस्टॉल कर सकते हैं। इससे रोजाना करीब 40–50 यूनिट बिजली बनेगी, जो औसतन एक मिड-टियर फैमिली की जरूरत से कहीं ज्यादा है।
कौन‑सा सिस्टम क्यों चुनें? (How to Choose Best Solar System)
- अगर आप शहर में रहते हैं और बिजली कटौती बहुत कम होती है, तो Grid-Tied सिस्टम बेहतर रहेगा। इससे बिल में सीधा फायदा मिलेगा।
- अगर बिजली कटौती ज्यादा होती है या आप गांव में हैं, तो Off-Grid सिस्टम अच्छा ऑप्शन हो सकता है ताकि लाइट कट पर बैकअप बना रहे।
- पर्यावरण के लिहाज से दोनों ही सिस्टम कार्बन एमिशन को कम करने में मदद करते हैं और लंबे समय में आपकी जेब पर बोझ घटाते हैं।
लागत और रिटर्न (Solar Panel Cost and ROI)
एक 8–10 kVA सिस्टम की कीमत इंस्टॉलेशन के साथ ₹4–6 लाख के बीच हो सकती है, जिसमें सरकारी सब्सिडी (government subsidy on solar) मिलने पर लागत घट भी सकती है। यह निवेश 4–5 साल में रिकवर हो सकता है, इसके बाद आने वाली बिजली लगभग मुफ्त मानी जा सकती है।