हरियाणा में 6.36 लाख परिवारों का बीपीएल राशन कार्ड रद्द, इस जिले में सबसे ज्यादा कटे BPL कार्ड
हरियाणा सरकार ने 6.36 लाख परिवारों को BPL सूची से बाहर कर दिया है। फरीदाबाद में सबसे ज्यादा कार्ड कटे। कई परिवारों ने फैसले पर उठाए सवाल। जानिए पूरी रिपोर्ट।

हरियाणा में एक बार फिर बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में बड़ा बदलाव किया गया है। राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने हाल ही में जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक 6.36 लाख से ज्यादा परिवार अब गरीबी रेखा से बाहर माने गए हैं। इसके चलते इन परिवारों को सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाला मुफ्त राशन अगस्त महीने से नहीं दिया जाएगा।
आंकड़ों में आई बड़ी गिरावट
कुछ ही महीने पहले तक प्रदेश में बीपीएल परिवारों की संख्या 52 लाख 50 हजार 740 थी, लेकिन अब यह घटकर 46 लाख 14 हजार 604 रह गई है। सरकार का कहना है कि जिन 6 लाख 36 हजार 136 परिवारों को सूची से बाहर किया गया है, उनकी सालाना आमदनी 1.80 लाख रुपये से ज्यादा हो गई है। इसके साथ ही इनके पास महंगी गाड़ियां भी दर्ज मिली हैं, जिस वजह से इन्हें बीपीएल लिस्ट से हटा दिया गया।
किन जिलों में सबसे ज्यादा कार्ड रद्द हुए?
इस फैसले से सबसे ज्यादा असर फरीदाबाद में देखने को मिला, जहां 20,266 कार्ड काटे गए। इसके बाद पानीपत में 15,502, करनाल में 15,059, अंबाला में 14,501, गुरुग्राम में 14,301 और सोनीपत में 12,498 कार्ड रद्द किए गए हैं।
अन्य जिलों की बात करें तो यमुनानगर में 10,964, कुरुक्षेत्र में 10,278, रोहतक में 9,210, कैथल में 8,783, हिसार में 8,656, सिरसा में 7,896 और झज्जर में 7,715 कार्ड हटाए गए।
फतेहाबाद (6,172), जींद (5,593), भिवानी (5,298), रेवाड़ी (4,412), पलवल (4,384), पंचकूला (2,785), महेंद्रगढ़ (2,768), नूंह (2,604) और चरखी दादरी (1,568) में भी यह प्रक्रिया हुई।
फैसले पर उठे सवाल, कई परिवारों को मिला झटका
हालांकि सरकार के इस कदम पर कई जगहों से सवाल उठने लगे हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां बिना किसी सर्वे के ही लोगों की सालाना आय अचानक बढ़ा दी गई। इतना ही नहीं, कुछ परिवारों के पास दोपहिया वाहन तक नहीं हैं, लेकिन फैमिली आईडी में उनके नाम पर महंगी गाड़ियां दर्ज मिलीं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिना जांच और पुष्टि के कार्ड काट दिए गए। कई परिवार ऐसे हैं जो अब भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, लेकिन अब उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा। इस पूरे मामले की पारदर्शी जांच की मांग भी जोर पकड़ने लगी है।