Mahabharat Katha : कर्ण को क्यों आता था हर रात एक रहस्यमयी महिला का सपना? कौन थी वो घूंघट वाली महिला
महाभारत के महान योद्धा कर्ण की जिंदगी जितनी वीरता भरी थी, उतनी ही दर्द से भी लिपटी हुई थी। उनके जीवन का एक रहस्य ऐसा था, जो उन्हें हर रात बेचैन करता था—एक सपना, जिसमें एक महिला घूंघट ओढ़े, दुखी चेहरा और छलकते आंसुओं के साथ उनके पास आती थी। कर्ण इस रहस्यमयी महिला का चेहरा कभी नहीं देख पाए, लेकिन उसका दर्द उन्हें गहराई तक झकझोर जाता था।

यह सपना सिर्फ एक कल्पना नहीं, बल्कि उनके जीवन के सबसे बड़े अधूरे रिश्ते की परछाईं थी। वर्षों बाद उन्हें पता चला कि यह महिला और कोई नहीं बल्कि उनकी जन्मदाता मां कुंती थीं, जिन्होंने उन्हें बचपन में ही छोड़ दिया था। ये कहानी न सिर्फ कर्ण की व्यथा को उजागर करती है, बल्कि एक मां-बेटे के अनकहे दर्द की सबसे भावुक झलक भी है।
कर्ण के सपने में आती थी एक राजसी महिला – हर बार बस आंसू और सन्नाटा
महाभारत के अद्वितीय योद्धा कर्ण को एक सपना जीवनभर परेशान करता रहा। सपने में हमेशा एक महिला उनके पास आती थी, जिसके आंसू उनके शरीर पर गिरते थे। वह महिला घूंघट में रहती थी, इसलिए कर्ण उसका चेहरा कभी नहीं देख पाए। यह सपना बार-बार आता और हर बार उन्हें अंदर तक हिला देता।
कुंती और कर्ण – दो सपनों की एक ही पीड़ा
कर्ण ही नहीं, कुंती को भी एक ऐसा ही सपना बार-बार आता था। उन्हें भी एक बच्चा दिखाई देता था, जिसे वो बचपन में नदी में छोड़ आई थीं। दोनों को अपने-अपने सपनों का मतलब नहीं समझ आता था, लेकिन एक मुलाकात ने इन वर्षों पुराने सवालों का जवाब दे दिया।
जब कुंती ने बताई सच्चाई, तब खुला सपना का राज़
कुंती जब सूर्य की आराधना कर रही थीं, तब उन्हें आशीर्वादस्वरूप कर्ण की प्राप्ति हुई थी। लेकिन लोकलाज के डर से उन्होंने उसे जन्म के तुरंत बाद ही त्याग दिया। ये त्याग जीवनभर दोनों को भीतर ही भीतर खाता रहा। यही पीड़ा दोनों के सपनों का हिस्सा बन गई थी।
कर्ण की जिंदगी – संघर्ष, अपमान और अधूरे रिश्तों की दास्तां
कर्ण का पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ, जिससे समाज ने उन्हें कभी पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। लेकिन उनकी काबिलियत ने उन्हें अर्जुन जैसे योद्धाओं के सामने भी सिर उठाकर खड़ा कर दिया। बावजूद इसके, उनके जीवन में एक खालीपन हमेशा बना रहा—अपनों का प्यार और पहचान, जो कभी पूरी नहीं हो सकी।