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नया नियम! अब नहीं ख़रीद सकेंगें तीसरी कार, सरकार ने लगाई लिमिट, 2 कार बाद बाद लागू होगी ये शर्त!

दिल्ली वालों के लिए गाड़ियों का शौक अब कुछ हद तक नियमों की जद में आ गया है। राजधानी की सड़कों पर कारों की बढ़ती भीड़ और प्रदूषण को काबू में करने के लिए दिल्ली सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। नए प्रस्ताव के तहत अब एक परिवार सिर्फ दो पेट्रोल या डीजल गाड़ियां ही रजिस्टर करवा सकेगा। अगर तीसरी गाड़ी चाहिए तो शर्त साफ है—वो इलेक्ट्रिक होनी चाहिए।

दिल्ली EV पॉलिसी 2.0 के ड्राफ्ट में इस नियम को जगह दी गई है, जिसका उद्देश्य राजधानी में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी को 2030 तक 30% तक ले जाना है। फिलहाल यह आंकड़ा महज 2.7% है। इस नई पहल से सरकार चाहती है कि लोगों की आदतें बदले, और पेट्रोल-डीजल से हटकर EV को अपना नया ‘नॉर्मल’ बनाएं।

नया नियम फिलहाल ड्राफ्ट स्टेज में है, लेकिन इसकी चर्चा हर गली-मोहल्ले में शुरू हो चुकी है। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या यह अमीरों पर सख्ती है या भविष्य की जरूरत? वहीं, कुछ इसे दिल्ली को ‘ग्रीन कैपिटल’ बनाने की दिशा में जरूरी कदम मान रहे हैं।\

3rd cars buying new rule

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अब दो से ज्यादा ICE कारें? नहीं चलेगा!

दिल्ली सरकार के EV पॉलिसी 2.0 ड्राफ्ट के मुताबिक, अब कोई भी परिवार अधिकतम दो पेट्रोल या डीजल कार ही खरीद सकेगा। तीसरी कार खरीदने पर पाबंदी नहीं है, लेकिन वह इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) होनी चाहिए। ये नियम सिर्फ नई गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन पर लागू होगा। यानी जिनके पास पहले से तीन या उससे ज्यादा कारें हैं, उन्हें बेचने की जरूरत नहीं है, लेकिन नई ICE गाड़ी नहीं खरीद सकेंगे।

प्रदूषण पर लगाम, EV को बढ़ावा

दिल्ली की जहरीली हवा और रोज़ाना लगने वाले ट्रैफिक जाम किसी से छिपे नहीं हैं। ऐसे में वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बड़ा दोषी माना गया है। सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोग EV अपनाएं। इसके लिए हाइब्रिड गाड़ियों पर टैक्स छूट, इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स पर इंसेंटिव, और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने जैसे कदम प्रस्तावित हैं। बैटरी स्वैपिंग और रीसाइक्लिंग सिस्टम पर भी ध्यान देने की बात कही गई है।

कहां होगी टक्कर, किसे होगा असर?

यह नियम खासकर उन संयुक्त परिवारों को प्रभावित कर सकता है जहां हर सदस्य अपनी गाड़ी चलाना पसंद करता है। वहीं अमीर तबका, जो तीन-चार गाड़ियां खरीदने का शौक रखता है, अब EV की तरफ झुकाव दिखा सकता है। हालांकि, मध्यम वर्गीय परिवारों पर इसका खास असर नहीं होगा क्योंकि आमतौर पर उनके पास दो से ज्यादा गाड़ियां होती ही नहीं हैं।

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EV की राह में रोड़े भी कम नहीं

EV की दिशा में यह कदम सराहनीय है, लेकिन चुनौतियों की कमी नहीं है। सबसे बड़ी दिक्कत EV चार्जिंग नेटवर्क की है, जो फिलहाल पूरी तरह मजबूत नहीं हो पाया है। इसके अलावा, यदि एक ही पते पर कई परिवार रहते हैं या कंपनी रजिस्ट्रेशन के सहारे नियम को दरकिनार किया जाए, तो नियम लागू कराना चुनौती बन सकता है।

दिल्ली बन सकती है देश के लिए रोल मॉडल

अगर यह योजना पूरी तरह से लागू होती है और दिल्लीवाले इसका साथ देते हैं, तो आने वाले वर्षों में राजधानी की तस्वीर बदल सकती है। सड़कों पर कम ट्रैफिक, कम धुआं और ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ियां दिखाई देंगी। यह न सिर्फ दिल्ली के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है कि कैसे नीतियों के जरिए बदलाव लाया जा सकता है।

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