देर रात तक जागने की आदत बढ़ा सकती है दिमागी कमजोरी का खतरा, रिसर्च में बड़ा खुलासा
अगर आपकी नींद की आदतें ऐसी हैं कि आप रोज़ देर रात तक जागते हैं, तो सतर्क हो जाइए। एक नई इंटरनल रिसर्च में सामने आया है कि ऐसे लोग, जो देर से सोते हैं और देर से उठते हैं, उनमें...

अगर आपकी नींद की आदतें ऐसी हैं कि आप रोज़ देर रात तक जागते हैं, तो सतर्क हो जाइए। एक नई इंटरनल रिसर्च में सामने आया है कि ऐसे लोग, जो देर से सोते हैं और देर से उठते हैं, उनमें उम्र के साथ दिमागी क्षमता (cognitive ability) में गिरावट आने का खतरा कहीं ज़्यादा होता है, उनकी तुलना में जो सुबह जल्दी उठने वाले होते हैं।
यह रिसर्च नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर ग्रोनिंगन (University Medical Center Groningen) में की गई है, जिसे ‘द जर्नल ऑफ प्रिवेंशन ऑफ अल्ज़ाइमर डिजीज’ (The Journal of Prevention of Alzheimer’s Disease) में पब्लिश किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, किसी भी इंसान का ‘क्रोनोटाइप’ (chronotype)—यानि उसकी सोने और जागने की आदतें—इस बात को तय करता है कि वह दिन के किन समयों में सबसे एक्टिव रहता है और इसका असर उसकी हेल्थ पर किस तरह पड़ता है।
शोध में शामिल मुख्य रिसर्चर एना वेंजलर (Anna Wenzler) का कहना है कि “क्रोनोटाइप को पूरी तरह बदलना आसान नहीं होता, लेकिन अपनी लाइफस्टाइल को उसके मुताबिक एडजस्ट जरूर किया जा सकता है।”
इस स्टडी में करीब 23,800 लोगों को शामिल किया गया था और उनकी दिमागी क्षमताओं का आंकलन 10 सालों तक किया गया। नतीजों में साफ दिखा कि जो लोग नाइट ऑउल्स (night owls) होते हैं—यानि रात में ज़्यादा एक्टिव रहते हैं—उनके दिमागी फंक्शंस में गिरावट की रफ्तार जल्दी उठने वालों से तेज़ होती है।
रिसर्च में यह भी नोट किया गया कि देर रात तक जागने वाले अक्सर ज़्यादा स्मोकिंग करते हैं, शराब का सेवन ज़्यादा होता है और फिज़िकल एक्टिविटी कम करते हैं। वेंजलर के मुताबिक, दिमागी कमजोरी के करीब 25% मामलों की जड़ में स्मोकिंग और खराब नींद हो सकती है।
इस रिपोर्ट से यह बात साफ होती है कि नींद की आदतें सिर्फ दिनभर की एनर्जी ही नहीं, बल्कि उम्र के साथ ब्रेन हेल्थ (brain health) पर भी बड़ा असर डालती हैं। अगर आप लगातार रात में देर तक जागने की आदत में हैं, तो अब समय है अपनी रूटीन पर दोबारा ध्यान देने का।