Learning License बनवाने वालों के लिए जरूरी खबर, अब नहीं कर पाएंगे नकल… इस तकनीक से रखी जाएगी निगरानी
अब लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस (Learning Driving License) बनवाने की प्रक्रिया में नकल करने की गुंजाइश नहीं बचेगी। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन टेस्ट में पारदर्शिता लाने के लिए AI तकनीक को शामिल करने का फैसला किया है। इससे न केवल परीक्षा में निगरानी बढ़ेगी, बल्कि पूरे प्रोसेस में फोटोग्राफी और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन भी ऑटोमैटिक हो जाएगा।

लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जा रहे लोगों के लिए एक अहम अपडेट (important update) सामने आया है। अब इस प्रक्रिया में नकल करना आसान नहीं रहेगा, क्योंकि टेस्ट के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आपकी हर मूवमेंट पर नजर रखेगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ई-ट्रांसपोर्ट सेवाओं (e-transport services) के विस्तार के साथ AI टेक्नोलॉजी को भी सिस्टम में शामिल करने की तैयारी कर ली है।
इस फैसले के तहत, अब ऑनलाइन टेस्ट (online test) में बैठते वक्त आप अकेले नहीं होंगे—AI कैमरा लगातार आपको मॉनिटर करेगा। जैसे ही कोई बाहरी व्यक्ति आपको मदद करने की कोशिश करेगा, कैमरा तुरंत उसे रिकॉर्ड कर लेगा। इसका मतलब यह है कि अगर आप नियमों का पालन नहीं करते, तो टेस्ट में फेल होने की संभावना काफी बढ़ जाएगी।
ड्राइविंग लाइसेंस की प्रोसेस में AI की बड़ी एंट्री
दिल्ली स्थित नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के उप महानिदेशक जयदीप सोम ने जानकारी दी कि हाल ही में 12 राज्यों के परिवहन विभाग और एनआईसी अधिकारियों के साथ इस विषय पर चर्चा हुई थी। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि ई-ट्रांसपोर्ट सेवाओं को और अधिक तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जाए और उसमें AI का बेहतर इस्तेमाल हो।
जयदीप सोम के मुताबिक, “AI टेक्नोलॉजी से सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और गलत तरीके से लाइसेंस लेने की कोशिशों पर रोक लगेगी।” इस तकनीक से न सिर्फ निगरानी होगी, बल्कि डॉक्युमेंटेशन और प्रोसेसिंग भी फास्ट हो जाएगी।
फोटोग्राफी भी AI से होगी, डेटा रहेगा सुरक्षित
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जब कोई व्यक्ति पहली बार ऑनलाइन आवेदन (online application) करेगा, तो उस दौरान उसकी फोटोग्राफी भी AI द्वारा ऑटोमैटिक तरीके से की जाएगी। इसके अलावा जब लर्निंग टेस्ट होगा, तो AI-बेस्ड कैमरा आपकी हर गतिविधि पर नजर रखेगा।
जब परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस (permanent driving license) का टेस्ट लिया जाएगा, तब भी आपका पुराना पूरा रिकॉर्ड AI के जरिए सिस्टम में ऑटोमैटिक दिख जाएगा। इससे टेस्टिंग प्रोसेस में किसी भी तरह की हेराफेरी की संभावना कम हो जाएगी।
AI का एक और फायदा ये रहेगा कि दस्तावेज हमेशा डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेंगे और वेरिफिकेशन के समय फिजिकल डॉक्युमेंट की जरूरत भी घटेगी। इससे प्रोसेस में स्पीड और ट्रांसपेरेंसी दोनों बढ़ेंगी।