कृषिहरियाणा

Karnal News: हरियाणा के इस किसान ने बनाया बिना ड्राइवर के AI से चलने वाला ट्रैक्टर

करनाल जिले के जमालपुर गांव में एक युवा किसान बीर विर्क ने खेती की दुनिया में तकनीक का ऐसा इस्तेमाल किया है जो हर किसी को हैरान कर देगा। अमेरिका से लौटे इस किसान ने (AI farming technology) की मदद से तीन ऐसे हाईटेक ट्रैक्टर तैयार किए हैं, जो बिना ड्राइवर के खुद-ब-खुद खेत में काम करते हैं। सेटेलाइट से जुड़ी इस तकनीक की मदद से ट्रैक्टर खेत की सीमा में ही काम करता है, टर्निंग लेता है और सटीक दिशा में चलता है – वो भी बिना किसी इंसानी कंट्रोल के।

करनाल न्यूज़: जमालपुर गांव का नाम अब केवल हरियाणा में ही नहीं, पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है। वजह हैं गांव के युवा किसान बीर विर्क, जिन्होंने (Artificial Intelligence) तकनीक को खेती से जोड़कर एक नई मिसाल पेश की है। विर्क ने खुद ऐसे तीन ट्रैक्टर तैयार करवाए हैं जो खेतों में बिना ड्राइवर के काम करते हैं – यानी पूरी तरह से ऑटोमेटेड।

बीर विर्क ने बताया कि इस तकनीक को भारत में लाने के लिए उन्हें दो से तीन साल का वक्त और तमाम इंटरनल परमिट और लाइसेंस क्लियर कराने पड़े। ये ट्रैक्टर सेटेलाइट से GNSS सिग्नल लेकर चलते हैं और सटीक निर्देशों के हिसाब से खेतों में काम करते हैं। उनका कहना है कि यह तकनीक पहले अमेरिका और स्वीडन जैसे देशों में प्रचलित थी, लेकिन अब इसे भारत में भी पूरी तरह से इंटीग्रेट कर लिया गया है।

कैसे करता है ट्रैक्टर काम?

ट्रैक्टर को कंट्रोल करने के लिए GNSS मोटर और एक iPad का इस्तेमाल किया जाता है। इस सिस्टम में ट्रैक्टर को पहले से तय किए गए रास्ते पर जीरो सेंटीमीटर एक्यूरेसी के साथ चलाया जाता है। ट्रैक्टर को कब मुड़ना है, कितनी जगह पर टर्न लेना है और खेत की बाउंड्री से बाहर न जाना – ये सभी निर्देश इसमें फीड होते हैं। इससे ये भी सुनिश्चित होता है कि ट्रैक्टर किसी और के खेत में ना जाए और बिना रुके लगातार काम करता रहे।

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इस टेक्नोलॉजी की एक और खास बात ये है कि इसे इस्तेमाल करना बहुत आसान है। विर्क के मुताबिक, “किसान को बस इतना देखना होता है कि ट्रैक्टर सही से चल रहा है या नहीं। कोई भी टेक्निकल ऑपरेशन उसे खुद नहीं करना पड़ता।”

इंस्टॉलेशन और सपोर्ट सिस्टम भी बेहद आसान

बीर ने बताया कि इस पूरे सिस्टम को इंस्टॉल करने में सिर्फ एक घंटे का समय लगता है। ये बिल्कुल लैपटॉप की तरह सेटअप होता है और इंस्टॉल के दौरान स्वीडन की कंपनी के टेक्निकल एक्सपर्ट्स वॉट्सएप और वीडियो कॉल के जरिए पूरी मदद करते हैं। भारत में भी इनके टेक्नीशियन उपलब्ध हैं जो इस काम को ऑनग्राउंड संभालते हैं।

अमेरिका से लौटकर शुरू की हाईटेक खेती

बीर विर्क ने अमेरिका में लगभग 10 साल बिताए हैं। वहां उन्होंने देखा कि कैसे एक अकेला व्यक्ति हजारों एकड़ की खेती संभाल सकता है, वो भी टेक्नोलॉजी की मदद से। यहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और भारत लौटकर अपने पैतृक गांव में खेती को आधुनिक बनाने की शुरुआत की। उन्होंने बताया कि पहले वे भी खुद ट्रैक्टर चलाते थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने ये तकनीक अपनाई, खेतों में काम करना और ज्यादा सटीक और आसान हो गया।

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200 एकड़ खेती और 15 ट्रैक्टरों का बेड़ा

फिलहाल बीर विर्क जमालपुर गांव में करीब 200 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं और उत्तराखंड में भी उनके पास 150 एकड़ का फार्म है। उनके पास कुल 15 ट्रैक्टर हैं जिनमें से तीन हाईटेक AI ट्रैक्टर हैं। उनका कहना है कि ये तकनीक न सिर्फ समय की बचत करती है बल्कि डीज़ल की खपत भी कम करती है। इससे खेती ज्यादा एफिशिएंट (efficient farming) बनती है।

किसानों से की खास अपील

बीर विर्क का कहना है कि आज का किसान अगर टेक्नोलॉजी से जुड़ जाए तो खेती के तरीके पूरी तरह से बदल सकते हैं। उन्होंने अन्य किसानों से भी अपील की कि वे (AI tractor farming) जैसे नए विकल्पों को अपनाएं और खेती को फायदे का सौदा बनाएं।

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