हरियाणा में सरकारी जमीन के कब्जाधारकों को मिलेगा मालिकाना हक, बस देना होगा ये प्रूफ
हरियाणा सरकार ने उन लोगों को बड़ी राहत दी है जिन्होंने 2004 से पहले सरकारी या पंचायती जमीन पर घर बनाकर कब्जा कर रखा है। अब ऐसे लोगों को मालिकाना हक देने की तैयारी की जा रही है, बशर्ते वे अपने दावे को साबित करने के लिए जरूरी प्रूफ (evidence) दें। सरकार ने इसके लिए स्पष्ट गाइडलाइन्स तय की हैं, और गलत दस्तावेज़ देने वालों पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने उन लोगों के लिए राहत की बड़ी घोषणा की है, जो साल 2004 से पहले सरकारी या पंचायती जमीन पर घर बनाकर रह रहे हैं। मुख्यमंत्री नायक सैनी की अगुवाई वाली सरकार ने ऐसे कब्जाधारकों को जमीन का मालिक (legal owner) बनाने की योजना तैयार की है।
इस नीति का फायदा उठाने के लिए लोगों को सबसे पहले यह साबित करना होगा कि उन्होंने 2004 से पहले उस जमीन पर निर्माण किया था। इसके लिए मकान से जुड़ा कोई प्रमाण पत्र (जैसे रजिस्ट्रेशन, electricity connection, पानी का बिल या अन्य कोई दस्तावेज़) देना होगा।
सरकार ने यह भी साफ किया है कि अगर कोई व्यक्ति झूठे दस्तावेजों के आधार पर आवेदन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जनवरी 2026 तक जमा करने होंगे आवेदन
नई नीति के तहत जो लोग पंचायती जमीन पर 2004 से पहले से रह रहे हैं, उन्हें जनवरी 2026 तक अपना आवेदन देना होगा। आवेदन के साथ कई महत्वपूर्ण जानकारियां और दस्तावेज़ जमा कराने होंगे:
- कब्जा की गई जमीन किस प्रकार की है – कृषि योग्य, गैर कृषि योग्य, चारागाह, स्कूल, अस्पताल, मंदिर, मस्जिद, playground, पंचायत घर, कब्रिस्तान या अन्य।
- यह सुनिश्चित करना होगा कि कब्जे में ली गई जमीन किसी जरूरी निर्माण (जैसे सड़क, अस्पताल, स्कूल या जोहड़ की खुदाई) में बाधा नहीं बन रही।
- 2004 से पहले बने मकान में बिजली का मीटर कब्जाधारी के नाम पर होना चाहिए।
- अगर पानी का कनेक्शन लिया गया है, तो उसका बिल और installation date भी बतानी होगी।
गलत जानकारी दी तो होगी कार्रवाई
सरकार ने साफ किया है कि इस योजना का लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो genuine दस्तावेज़ देंगे और जिनका कब्जा 2004 से पहले का साबित होगा। यदि कोई व्यक्ति इस मौके का गलत फायदा उठाने की कोशिश करता है या गलत दस्तावेज़ देता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह नीति उन हज़ारों लोगों के लिए राहत लेकर आई है जो दशकों से सरकारी जमीन पर रह रहे हैं लेकिन अब तक मालिकाना हक से वंचित थे। हालांकि सरकार इस प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रमाण-आधारित बना रही है ताकि सिर्फ वास्तविक और जरूरतमंद लोग ही इसका फायदा उठा सकें।