Urad Farming : उड़द की खेती बनी किसानों के लिए मुनाफे का सौदा, कम लागत से अधिक कमाई
धान की खेती से परेशान किसानों के लिए अब उड़द की खेती उम्मीद की नई किरण बनकर उभरी है। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा ज़िले में किसान अब कम लागत और कम पानी में बेहतर आमदनी के लिए उड़द की ओर रुख कर रहे हैं। खास बात ये है कि जहां धान की खेती में पानी की खपत और लागत दोनों ही ज्यादा होती है, वहीं उड़द की फसल कम संसाधनों में भी अच्छा रिटर्न दे रही है।

सक्ती ब्लॉक के ग्राम सिरली में इस बार किसानों ने उड़द की फसल को तरजीह दी है और इसका नतीजा यह है कि कई किसानों की किस्मत भी उड़द जैसी चमकने लगी है। किसानों का कहना है कि सिर्फ मेहनत नहीं, समझदारी भी जरूरी है – और इस बार उड़द ने वही समझदारी का सबक सिखाया है।
कम पानी, कम खर्च और ज्यादा फायदा
ग्राम सिरली के किसान रघुनाथ राठौर ने बताया कि कुछ साल पहले तक वह गर्मियों में धान की खेती करते थे, लेकिन पानी की किल्लत और बढ़ती लागत ने उन्हें परेशान कर रखा था। कृषि विभाग की सलाह पर उन्होंने उड़द की खेती आजमाई — और ये दांव चल निकला। कृषि विभाग से मिली नई वैरायटी के बीजों ने उनके खेत की किस्मत बदल दी।
रघुनाथ ने बीते साल 5 एकड़ 50 डिसमिल में उड़द बोई और नतीजा यह रहा कि न सिर्फ मेहनत कम लगी, बल्कि आमदनी भी अच्छी हुई। वहीं मस्तराम जायसवाल नामक किसान ने बताया कि उन्होंने पिछले साल 5 एकड़ में उड़द की खेती की थी और मुनाफा देख इस बार 9 एकड़ में बोआई की है। अब गांव में कई किसान धान छोड़कर उड़द अपनाने लगे हैं।
इंदिरा उड़द-1 बनी किसानों की पहली पसंद
कृषक जगतराम श्रीवास ने इस बार 15 एकड़ में ‘इंदिरा उड़द-1’ नामक वैरायटी की खेती की है। उनका कहना है कि यह किस्म न केवल उत्पादन में बढ़िया है, बल्कि बीमारियों के प्रति भी काफी हद तक प्रतिरोधक है। खासकर “उकठा रोग” से यह किस्म काफी हद तक सुरक्षित रहती है। यही कारण है कि अब आसपास के गांवों में भी उड़द की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
किसानों का यह अनुभव बाकी गांवों के लिए भी मिसाल बन गया है। एक-दूसरे की फसल देखकर प्रेरणा लेने वाले किसान अब खुद खेत में बदलाव कर रहे हैं और उड़द को नई उम्मीद की फसल मान रहे हैं।
सरकारी अभियान भी कर रहा है किसानों को जागरूक
उप संचालक कृषि शशांक शिंदे ने बताया कि गर्मियों में पानी की गिरती سطح को देखते हुए जिले में ग्रीष्मकालीन धान की खेती को घटाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। किसानों को रागी, दलहन और तिलहन जैसी कम पानी वाली फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि उन्हें कम लागत में बेहतर आमदनी मिल सके।
इसके साथ ही कृषि विभाग ने फसलों में लगने वाले रोग और कीटों की समय-समय पर जानकारी देने के लिए मैदानी कर्मचारियों को अलर्ट मोड पर रखा है। किसानों को सलाह दी जा रही है कि उड़द की खेती के लिए पुरानी नहीं, बल्कि बीज निगम या कृषि विभाग से प्रमाणित नई वैरायटी जैसे ‘इंदिरा उड़द-1’ का ही इस्तेमाल करें।
तो अब समय है बदलाव का — पानी की कमी से न घबराएं, उड़द है ना!
अगर आप भी खेती में बदलाव की सोच रहे हैं तो उड़द आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। कम मेहनत, कम पानी और ज्यादा मुनाफा — यही है उड़द की असली पहचान। बस सही बीज, थोड़ी सी समझदारी और समय पर सलाह से आप भी अपनी खेती को बना सकते हैं फायदे का सौदा।
क्या आप भी उड़द की खेती करने की सोच रहे हैं या आपके इलाके में भी ऐसा कोई ट्रेंड है?