धान बुवाई से पहले खेत में डाले ये चीज़, अच्छी पैदावार के साथ-साथ सरकार से मिलेगी सब्सिडी
देश के कई हिस्सों में मानसून की पहली बारिश के साथ ही धान की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में अगर किसान समय रहते कुछ ज़रूरी तैयारी कर लें, तो फसल की उपज में काफी बढ़ोतरी...

देश के कई हिस्सों में मानसून की पहली बारिश के साथ ही धान की बुवाई का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में अगर किसान समय रहते कुछ ज़रूरी तैयारी कर लें, तो फसल की उपज में काफी बढ़ोतरी की जा सकती है। इन्हीं तैयारियों में से एक है Gypsum Fertilizer का इस्तेमाल, जिसे बुवाई से पहले खेत की मिट्टी में मिलाना बेहद फायदेमंद माना जा रहा है।
खासतौर पर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इनमें से कई क्षेत्रों की मिट्टी क्षारीय (alkaline) या लवणीय (saline) हो जाती है, जिससे फसल की ग्रोथ पर असर पड़ता है। ऐसे में Gypsum एक ऐसा उपाय है जो मिट्टी की क्वॉलिटी सुधारकर फसल की पैदावार बढ़ा सकता है।
उत्तर प्रदेश में मिल रही है सब्सिडी
उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को Gypsum खाद पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के मुताबिक, राज्य के किसान ‘कृषि योजना’ के तहत 2 हेक्टेयर तक के खेतों में 3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से Gypsum खरीद सकते हैं। यह खाद सरकारी बीज गोदामों पर उपलब्ध है, और किसान इसे सरकारी दर पर प्राप्त कर सकते हैं।
Gypsum क्यों ज़रूरी है?
Gypsum में 23% कैल्शियम और 18.6% सल्फर होता है – ये दोनों मिनरल्स फसल की बढ़वार और पोषण के लिए बेहद अहम हैं। Gypsum का इस्तेमाल मिट्टी की संरचना सुधारता है, उसकी नमी रोकने की क्षमता बढ़ाता है और खासकर खारी ज़मीनों में सोडियम को हटाकर pH balance बनाए रखता है।
धान के अलावा, दलहन और तिलहन फसलों पर भी इसका असर दिखता है। दलहनी फसलों में यह राइजोबियम बैक्टीरिया की सक्रियता बढ़ाकर प्रोटीन की मात्रा में इज़ाफा करता है, वहीं तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा और पौधों का विकास बेहतर होता है।
कितना और कैसे करें इस्तेमाल?
Gypsum की मात्रा का चुनाव मिट्टी की किस्म के आधार पर करना चाहिए:
- सामान्य क्षारीय या लवणीय भूमि: 3 क्विंटल (300 किलो) प्रति हेक्टेयर
- बहुत ज्यादा क्षारीय/ऊसर भूमि: 4–6 क्विंटल (400–600 किलो), लेकिन यह soil test के आधार पर ही तय करें
- हल्की अम्लीय या संतुलित भूमि: ज़रूरत बहुत कम होती है, 1–2 क्विंटल काफी है
इस खाद को धान की बुवाई से 15–20 दिन पहले खेत की जुताई के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए। चाहें तो इसे टॉप ड्रेसिंग करके हल्की सिंचाई भी कर सकते हैं ताकि यह मिट्टी में अच्छी तरह घुल जाए और असर दिखा सके।
इस्तेमाल से पहले कराएं मिट्टी की जांच
Gypsum के सही इस्तेमाल के लिए soil test कराना बेहद ज़रूरी है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) पर दिए गए निर्देशों के मुताबिक ही इसकी मात्रा का इस्तेमाल करें। इसके लिए अपने नज़दीकी कृषि विज्ञान केंद्र या जिला कृषि कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
नतीजा – उपज में होगा सीधा फायदा
Gypsum खाद के लगातार इस्तेमाल से खेत की मिट्टी सुधरती है, फसलों की जड़ें मजबूत होती हैं और पौधे ज़्यादा पोषक तत्वों को अवशोषित कर पाते हैं। इसके चलते धान के दाने मोटे, चमकदार और बेहतर क्वॉलिटी के होते हैं। अनुमान के मुताबिक, इससे कुल उत्पादन में 10–15% तक बढ़ोतरी संभव है।
सरकारी सब्सिडी का लाभ लेकर किसान न सिर्फ उत्पादन बढ़ा सकते हैं, बल्कि खेती की लागत भी कम कर सकते हैं। लिहाजा, धान की बुवाई से पहले अगर Gypsum का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो इसका असर सीधे खेत से लेकर बाजार तक दिखेगा।