पोषक तत्वों से भरपूर गर्मियों गाय-भैंस को जरूर खिलाएं यह चारा, डबल होगा दूध उत्पादन
फरीदाबाद के सागरपुर गांव में किसान अब दूध उत्पादन बढ़ाने का एक नया और कारगर तरीका अपना रहे हैं — बरसम की खेती। यह खास किस्म का हरा चारा गाय, भैंस और मुर्गियों के लिए बेहद पौष्टिक माना जा रहा है। इसकी खास बात ये है कि इसे खिलाने से दूध की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है।

फरीदाबाद: किसानों का कहना है कि बरसम ना सिर्फ सस्ता और पौष्टिक है, बल्कि इसे उगाना भी बेहद आसान है। इसके बीज को किसान खुद ही दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं, और इसकी सिंचाई भी ज्यादा बार नहीं करनी पड़ती। इससे चारा तैयार करने की लागत काफी कम आती है।
धीरे-धीरे सागरपुर गांव में बरसम की खेती एक ट्रेंड बनता जा रहा है। किसान बाजार से महंगा चारा खरीदने की बजाय खुद यह हरा चारा उगा रहे हैं और बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। यही कारण है कि अब बरसम, पशुपालकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प के तौर पर उभर रहा है।
गर्मी के मौसम में दूध देने वाले पशुओं को तंदुरुस्त और फिट रखना किसान भाईयों के लिए किसी चैलेंज से कम नहीं। लेकिन बल्लभगढ़ के सागरपुर गांव के किसान इस चैलेंज को एकदम देसी जुगाड़ से मात दे रहे हैं। ये किसान बरसम नाम के खास हरे चारे की खेती कर रहे हैं, जो गाय-भैंस ही नहीं, मुर्गियों की सेहत को भी सुपर बना रहा है। बरसम, नाम भले थोड़ा अजीब सा लगे, लेकिन इसका असर देखकर किसान कह रहे हैं — “दूध बढ़ा नहीं, छलकने लगा है!”
इस चारे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये न सिर्फ पौष्टिकता से भरपूर है, बल्कि इसे उगाने की लागत भी बेहद कम है। किसान दीपक बताते हैं कि उनके खेतों में हर साल बरसम की बहार रहती है। खेत की दो-तीन बार जुताई करो, थोड़ा पानी भरो और बरसम के बीज डाल दो — हो गया काम! ऊपर से इसमें कोई कीड़ा-मकोड़ा भी नहीं लगता। मतलब न दवा का झंझट, न टेंशन।
बरसम का असर भी किसी सुपरफूड से कम नहीं। गाय और भैंस को जब इसका भरपूर सेवन कराया जाए तो दूध में साफ-साफ इजाफा देखा जाता है। और मजे की बात ये कि मुर्गियां भी इसे बड़ी चाव से खाती हैं — जैसे इन्हें भी पता हो कि हेल्दी खाना खा रही हैं। अब गांव के कई किसान इस खेती को बड़े स्तर पर कर रहे हैं ताकि बाजार से महंगा चारा न खरीदना पड़े।