Kheti Tips: मानसून से पहले खेतों में करें ये 2 ज़रूरी काम, घटेगा खाद का खर्च, बढ़ेगी पैदावार
हरियाणा में प्री-मानसून बारिश के साथ किसान धान और अन्य खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो अगर किसान मानसून से पहले खेतों में दो अहम काम कर लें, तो पैदावार न सिर्फ बेहतर होगी, बल्कि महंगे रासायनिक खादों (DAP, Urea) की खपत में भी करीब 50% तक कमी आ सकती है। यह उपाय मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं और फसल को बीमारियों से भी बचाते हैं।

हरियाणा में प्री-मानसून बारिश के साथ ही किसान धान की नर्सरी और खरीफ फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि अगर किसान समय रहते कुछ ज़रूरी कदम उठा लें, तो उनकी जमीन की उर्वरकता बढ़ सकती है और रासायनिक उर्वरकों (chemical fertilizers) पर खर्च घट सकता है।
बलिया स्थित श्री मुरली मनोहर टाउन कॉलेज में मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह बताते हैं कि सही तकनीक और तैयारी से किसान सूखी या बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना सकते हैं। इस समय कुछ इलाकों में हल्की बारिश हो रही है और कुछ जगहों पर अभी सूखा है। ऐसे में सबसे पहले खेत में मिट्टी पलटने वाले हल से अच्छी तरह जुताई करना जरूरी है।
क्यों ज़रूरी है मिट्टी पलटने वाला हल?
मिट्टी पलटने से खेत की नीचे की मिट्टी ऊपर आ जाती है और सतह पर मौजूद घास और बीमारियों वाले कीट तेज धूप में नष्ट हो जाते हैं। यह एक पुरानी लेकिन बेहद असरदार तकनीक मानी जाती है। अगर किसी किसान ने जनवरी या फरवरी में खेत के किनारे खाद बनाने के लिए गड्ढा तैयार किया था, जिसमें गोबर या कंपोस्ट भरा गया था, तो अब वह खाद इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी होगी।
एक बीघा खेत के लिए लगभग ढाई से तीन टन गोबर या कंपोस्ट खाद (compost manure) काफी मानी जाती है। इस खाद को खेत में अच्छी तरह बिखेरें और अगर ट्रैक्टर उपलब्ध है तो उसकी मदद से एक बार जुताई ज़रूर करें, ताकि खाद मिट्टी में अच्छे से मिक्स हो जाए।
कैसे बनाएं असरदार कंपोस्ट खाद?
जिन किसानों ने पहले से खाद बनाने की तैयारी नहीं की है, वे अब भी आगे की फसल के लिए इसकी शुरुआत कर सकते हैं। इसके लिए पुराने खाद वाले गड्ढों को तीन-चार दिन के लिए खाली छोड़ दें ताकि वे सूख जाएं। फिर सबसे नीचे गोबर की एक मोटी परत डालें और उसके ऊपर हल्की सी पशुओं की बिछाली (यानि पेशाब से गीली मिट्टी) डालें। इस प्रक्रिया को दोहराकर गड्ढा पूरा भर दें।
कुछ लोग इस तरह की खाद को कमर्शियल लेवल पर जैविक खाद (organic fertilizer) के तौर पर बेचते हैं, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि अगर किसान इसे खुद तैयार करें और अपने खेत में इस्तेमाल करें, तो इसका असर कहीं बेहतर होगा।
पहली बारिश के बाद शुरू करें बुआई
खेत की तैयारी के इन स्टेप्स को पूरा करने के बाद जब पहली अच्छी बारिश हो जाए, तो किसान मक्का, धान, भिंडी या दूसरी खरीफ सब्जियों की बुआई शुरू कर सकते हैं। इस विधि का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यह खेत की नैचुरल उपजाऊ शक्ति (soil fertility) को बढ़ाती है और रासायनिक खादों जैसे DAP और यूरिया की ज़रूरत को 50% तक कम कर देती है।