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हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा को एक और बड़ा झटका, 250 मिलियन व्यूज वाले चार और गाने यूट्यूब से बैन

हरियाणवी कलाकार मासूम शर्मा के 4 नए गाने यूट्यूब से बैन कर दिए गए हैं। अब तक उनके कुल 14 गाने हटाए जा चुके हैं। इनमें उनका चर्चित सॉन्ग 'चंबल के डाकू' भी शामिल है। गन कल्चर को बढ़ावा देने के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है।

जींद: हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री के चर्चित सिंगर मासूम शर्मा को एक और बड़ा झटका लगा है। उनके चार और गाने यूट्यूब से हटा दिए गए हैं, जिससे बैन हुए उनके कुल गानों की संख्या अब 14 हो गई है।

हैरानी की बात ये है कि जिन गानों को हटाया गया है, उनमें से कुछ के 250 मिलियन से ज्यादा व्यूज थे और ये यूट्यूब ट्रेंडिंग में भी शामिल रह चुके हैं।

‘चंबल के डाकू’ और ‘रोहतक कब्जा’ जैसे चर्चित गाने भी लिस्ट से गायब

बैन किए गए गानों में मासूम शर्मा का मशहूर सॉन्ग ‘चंबल के डाकू’ भी शामिल है, जो बिलबोर्ड तक पहुंच चुका था। इसके अलावा, हरियाणवी फिल्म ‘रोहतक कब्जा’ का टाइटल ट्रैक ‘रोहतक लेना कब्जे में, असलहे इकट्ठे कर ल्यो सारे’ भी हटाया गया है।

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इन गानों को हटाने का कारण यह बताया गया है कि ये गन कल्चर को प्रमोट करते हैं, जो समाज में हिंसा को बढ़ावा दे सकते हैं।

मासूम शर्मा की सफाई: “अब विवादित गानों से दूरी बनाऊंगा”

सरकारी कार्रवाई के बाद मासूम शर्मा ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:

“मैं अब ऐसे गानों से दूर रहना चाहता हूं जो किसी भी तरह के विवाद को जन्म दें। लेकिन ये भी सही नहीं कि हर गाने को गन कल्चर से जोड़कर देखा जाए।”

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उन्होंने यह भी कहा कि अब वे खुद यह गिनती छोड़ चुके हैं कि अब तक कितने गाने हट चुके हैं

और भी कलाकारों के गानों पर गिरी गाज

केवल मासूम शर्मा ही नहीं, बल्कि हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री के कई नामी कलाकारों के गानों को भी बैन किया गया है। इनमें शामिल हैं:

  • नरेंद्र भगाना
  • अंकित बालियान
  • अमित सैनी रोहतकिया
  • सुमित पारता
  • गजेंद्र फोगाट
  • हर्ष
  • संधू
  • राज मावर

इन सभी पर गानों के माध्यम से गन कल्चर को बढ़ावा देने का आरोप है।

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हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों का कहना है कि सरकार की यह कार्रवाई एकतरफा नज़र आती है। जहां एक ओर कलाकारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात होती है, वहीं दूसरी ओर इस तरह के बैन से उनकी क्रिएटिविटी पर भी असर पड़ता है। हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि समाजिक जिम्मेदारी के तहत कंटेंट को लेकर संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है।

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