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Kawad Yatra 2025: इस दिन से शुरू होगी कांवड़ यात्रा, जानिए कब है सावन शिवरात्रि और क्या हैं नियम

इस बार कब है सावन शिवरात्रि? कांवड़ यात्रा का रूट, नियम और पूरी डिटेल यहाँ जानें

हर साल सावन के महीने में निकलने वाली कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra 2025) इस बार 11 जुलाई से शुरू होगी। लाखों की संख्या में शिवभक्त उत्तर भारत के प्रमुख गंगा घाटों से गंगाजल लेकर नंगे पैर अपने-अपने इलाकों के शिव मंदिरों तक पहुंचते हैं। ये यात्रा शिवरात्रि तक चलती है, जो इस बार 23 जुलाई को मनाई जाएगी।

इस दौरान श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, गौमुख, नीलकंठ, देवघर और काशी जैसे तीर्थ स्थलों से गंगाजल भरकर अपने कंधों पर रखी गई विशेष बांस की कांवड़ में लेकर चलते हैं। फिर उसे अपने शहर या गांव के शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। माना जाता है कि इस यात्रा से न सिर्फ पुण्य मिलता है, बल्कि मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

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क्या है कांवड़ यात्रा की परंपरा?

कांवड़, जिसे ‘कंवर’ या ‘कावर’ भी कहा जाता है, एक लंबा बांस होता है जिसे फूल-मालाओं, पट्टियों, घंटियों और खिलौनों से सजाया जाता है। इसके दोनों सिरों पर गंगाजल से भरे लोटे या बोतलें लटकाई जाती हैं। शिवभक्त इसे कंधे पर रखकर लंबी पदयात्रा करते हैं और शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं।

इस परंपरा की शुरुआत को लेकर एक पौराणिक मान्यता है। उत्तर प्रदेश के बागपत ज़िले के पुरा महादेव मंदिर में भगवान परशुराम ने ब्रजघाट (गढ़मुक्तेश्वर) से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

Kawad yatra 2025
कावड़ यात्रा 2025 में कब से शुरू? इस दिन कांवड़िए चढ़ाएंगे शिवलिंग पर जल

सावन शिवरात्रि 2025 कब है?

इस साल सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई की रात 2:06 बजे से हो रही है। कांवड़ यात्रा भी इसी दिन से आरंभ मानी जाएगी। सावन की शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 4:39 बजे शुरू होगी और 24 जुलाई की रात 2:28 बजे तक चलेगी। व्रत और जल अर्पण का प्रमुख दिन 23 जुलाई ही रहेगा। सावन का महीना 9 अगस्त तक रहेगा।

कांवड़ यात्रा के नियम (Kanwar Yatra Rules)

कांवड़ यात्रा सिर्फ आस्था ही नहीं, बल्कि अनुशासन की भी मिसाल है। इस दौरान कुछ नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है:

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  • कोई भी व्यक्ति बिना स्नान किए कांवड़ को छू नहीं सकता।
  • कांवड़ यात्रा के दौरान तेल, साबुन और कंघी का इस्तेमाल मना है।
  • श्रद्धालुओं को “भोला” और महिला भक्तों को “भोली” कहकर संबोधित किया जाता है।
  • यात्रा में हर बार “बोल बम” का जयघोष करना जरूरी माना जाता है।
  • शराब, मांस या किसी भी तरह के नशे से पूरी तरह परहेज रखना होता है।
  • चमड़े से बनी चीजों (leather items) का उपयोग वर्जित होता है।
  • कांवड़ को पेड़-पौधों के नीचे नहीं रखना चाहिए।
  • चलते हुए किसी वाहन पर बैठना या कांवड़ को वाहन से ले जाना मना है।
  • यात्रा के दौरान चारपाई पर बैठना या लेटना भी वर्जित है।
  • सबसे ज़रूरी नियम – कांवड़ को सिर के ऊपर से ले जाना सख्त मना है।

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